Monday, October 26, 2020

कांकेर से नलिनी बाजपेयी की रचना- महक

रचनाकारा-नलिनी बाजपेयी
संबलपुर, जिला-कांकेर, (छ .ग.)
 विषय-महक,विधा-मुक्त छंद
  दिनाँक-26.10.20
             महक

कर्म कुछ ऐसा करे जीवन 
        फूलों सा महक जाएं,
जीवन के हर मोड़ पर 
      खुशियाँ बस लहक जाएं।

ऐ!जिंदगी सुकर्मों से
         तुझे मैं सजाऊंगा,
जमाना देखता रहे और 
       यश से चहुँओर चक जाएं।

हयात-ए-मौत की 
      चिंता नहीं है मुझे,
डर है बस कहीं तुम्हारी 
    नरगिसी आँखें ना छलक जाएं।

तमाम रिश्तों को भूलाता 
      रहा भलमनसाहत के लिए,
तुम्हारी चाहतों में कहीं 
         ये दिल ना बहक जाएं।

चाहता नहीं दरिया 
         कभी समंदर से मिले,
मगर ये हकीकत है 
        कभी दुबारा ना सनक जाएं।

व्याख्या-प्रस्तुत कविता में जीवन को सुकर्मों से महकाने के साथ जीवन की वास्तविकता को बताया गया है।
______________________

     नलिनी बाजपेयी
संबलपुर, कांकेर,(छ .ग.)

No comments:

Post a Comment

दुर्ग से प्रिया गुप्ता की रचना- चाहत

कवि-प्रिया गुप्ता जिला- दुर्ग राज्य-छत्तीसगढ़ शीर्षक-चाहत विधा-काव्य संपर्क-7974631528  दीवानगी दीवानों की वफ़ा है दोस्तो   काति...