जिला-कांकेर,छग
विषय-राजकीय पक्षी
शीर्षक-पहाड़ी मैना
विधा-कविता( मुक्त छंद)
पहाड़ी मैना जब तुम
राजकीय पक्षी घोषित
हुई समूचा बस्तर खुश था।
झूम उठा था
सालों का द्वीप
तुमसे मिलने वालों का
तांता लगा हुआ था ,
नुकीले चोंच और पैनी
निगाह ,मीठी बोली
पहचान है तुम्हारी ।
तुम्हारा कांगेर घाटी व
तीरथगढ़ के इर्द -गिर्द था
बसेरा , उन्मुक्त गगन में
उडान भरना बया कर
जाता था अकूत
हौसला और विश्वास ।
इन्द्रावती का नीर चोंच
में भर इतराती फिरती थी।
किंतु यह क्या मैना तुम
संकट ग्रस्त घोषित हुई,
और बड़े पिंजरे में कैद,
अपने साथियों के संग
उड़ना , अपनी बोली
भूल गुडमार्निंग कहने
को विवश है पहाड़ी मैना।
काश कि तुम राजकीय
पक्षी होने के नाते
बेखौफ उड़ान भर पाती,
अपने कोटर में साथियों
संग बतियाती । *मैना*
ओ मेरी पहाड़ी मैना।
मीरा आर्ची चौहान
कांकेर,छग
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