जिला-आगरा
राज्य-उत्तर प्रदेश
विषय-बदलाव
शीर्षक-नये बदलाव
संपर्क 7906424307
बदलाव
बदलाव प्रकृति का नियम है जैसे सुबह के बाद शाम होती है शाम के बाद रात होती है रात के बाद फिर अगली सुबह होती है।
ऐसे ही समय एक जगह स्थिर नहीं रहता हमेशा ही बदल परिवर्तन होता है।
कभी गर्मी कभी वर्षा कभी सर्दी ऋतु में भी बदलती रहती है ।।
बदलाव होना अति आवश्यक है उससे हमें सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जैसे एक ऋतु के बाद दूसरी ऋतु आती है कभी बसंत कभी ग्रीष्म कई शिष्रर और हर ऋतु का अपना महत्व होता है उसी प्रकार हमारे जीवन चक्र में अनेकों प्रकार के बदलाव आते हैं कभी सुख कभी दुख कभी सफलता कभी असफलता असफलता ही से ही में सफलता का मार्ग मिलता है
समय के साथ हमारी खेती व्यवस्था में बहुत बदलाव हुए पहले हमारी खेती-बाड़ी पूरी तरह से हमारी पशुओं पर निर्भर थी जैसे बैलों से खेत की जुताई होती और घोड़े जिन्हें कि हम सवारी द्वारा इक्का तांगा एक स्थान से दूसरे स्थान जाते लेकिन अब जब नई तकनीकी की यंत्र आ गए उसके बाद हमारे इन जानवरों की स्थिति में पहले की अपेक्षा अधिक खराब होती जा रही है पहले हर घर में दो बैल और एक गाय अवश्य होती थी लेकिन जब से गांव में भी नई तकनीकी के ट्रैक्टर ट्राली इंजन जैसे कृषि यंत्र आ गए हैं तो अब बैल नहीं मिलते हैं जिससे ही प्यारे गौ वंश के प्राणी बहुत ही दुखी अवस्था में रहते हैं।
हमारी शिक्षा पद्धति में भी बहुत ज्यादा परिवर्तन और बदलाव आए हुए हैं हमारे रहन-सहन खान हमारे परिवार रीति रिवाज जहां तक की परंपरा शादी विवाह हर जगह बदल दिखाई देता है इस बदलाव के कारण हमारे समाज में से संयुक्त परिवार पूरी तरह समाप्त होते जा रहे हैं अब एकांकी परिवार का महत्व क्योंकि कुछ स्थिति में सही भी है कुछ स्थिति में सही नहीं है सही यह है कि सब अपने हिसाब से अपना जीवन जी सकते हैं लेकिन परेशानी है कि जब बच्चे छोटे होते तो संयुक्त परिवार में उनका लालन पालन और दादा दादा दादी की कहानी दोनों उन्हें अच्छे संस्कार मिल जाते थे लेकिन अब हमारे बच्चों में संस्कारों की कमी होती जा रही है लेकिन एकाकी परिवार में अपने बच्चों नौकरों के सहारे पालने पड़ते हैं और हमारे लेकिन हमारी जो पुरानी आयुर्वेदिक व्यवस्था है हम लोग हमारे वैज्ञानिक शिक्षा इतनी बढ़िया है कि हम लोग चंद्रयान भेज रहे मंगल ग्रह पर घूम कर आ गए हमें इस बात पर गर्व है और हम अपने परिवर्तन से खुश हैं लेकिन हैं योग है हम लोग वापस फिर उसी और वापस आ रहे हैं हमारे देश की योग विदेश में अपना रहे हैं और फिर हम वापस हम भी इस ओर जाने की कोशिश की जिससे हम स्वस्थ रहें हम अपनी शिक्षा पद्धति को पूरी तरह भूल चुके लेकिन विदेशी लोग हमारी सांस्कृतिक और कल्चर को अपना रह लगाते हुए उनकी उनकी उनके संस्कृत को अपनाने की कोशिश करते हैं जो कि गलत है आप कभी वृंदावन में लिए इस्कॉन टेंपल में देखिए हजारों अंग्रेज महिलाएं साड़ी पहनकर हरे रामा हरे कृष्णा दिन भर गाती है और हम लोग के बच्चे अपने देश के संस्कार को भूल कर जस्टिस लीवर के गाना सुनना पसन्द करने लगी है अपनी संस्कृति सभ्यता अपने कल्चर को नहीं भूलना चाहिए अपने भगवान अपनी देवी देवता अपनी राष्ट्रीय एकता धर्मनिरपेक्ष राज्य हमारा देश जहां अनेक प्रकार के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं हमें उसे संस्कृति को आगे बढ़ना चाहिए ना की छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करना सब धर्म समानता का पालन करना चाहिए जैसा कि विवेकानंद जी ने विदेश भाषण में कहा था की सारी दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहां सभी लोग धर्म के लोग सभी जाति के लोग एक साथ रहते हैं बड़े प्रेम से रहते हैं।
हमे बडा गर्व की हमने भारत में जन्म लिया हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हम हर जन्म में हमें भारत में ही जन्म मिले
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