Friday, January 24, 2025

सरगुजा से पम्मी पैकरा " प्रकृति" की रचना-- मेरी बेटियाँ

*कवि* - पम्मी पैकरा " प्रकृति"
*जिला* - सरगुजा
*राज्य* - छत्तीसगढ़ 
*विषय* - बेटी
*शीर्षक* - मेरी बेटियां 
*विधा* - कविता
*संपर्क* - 9926513139

*मेरी बेटियां*
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मेरी बेटियां -2
मेरे आंगन के किलकारी,
मेरे बगिया के फुलवारी,
पापा की पारी,
नाना नानी, दादा दादी 
की दुलारी 
मेरी बेटियां .......।।

शरद की शबनम,
बसंत की गुलशन,
ग्रीष्म की पतझड़ में,
सदाबहार उपवन ,
मेरी बेटियां..... ।।

मां की जान,
पिता की अभिमान,
अनकही खुशियों की जुबान,
देश की शान,
मेरी बेटियां...... ।।

नभ सी निर्मल,
जल सी शीतल,
हवाओं सा स्पर्स कर,
घर में भर देती हैं खुशियां,
मेरी बेटियां..... ।।

आज की किलकारी,
कल की नारी,
प्यार से सींचो तो,
महका दे फुलवारी,
छेड़ो तो बन जाए चिंगारी ।
मेरी बेटियां....।।

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