जिला-कांकेर,छग
शीर्षक- महक
विधा -कविता
महक सरई के फूलों की
बस्तर के चप्पे-चप्पे को।
सराबोर कर देती है ,
मदमाती भीनी महक से।
पहली बारिश की फूंहार
महका देती है मिट्टी को ।
ये महक कस्तुरी -सी,
अद्भुत है सोंधी- सोंधी।
ऐसी ही महक हमारे
कर्म में रहे दूर तक,
फैले कर्म की खुशबू,
रजनीगंधा की तरह ।
मीरा आर्ची चौहान
कांकेर,छग
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