Monday, October 26, 2020

कांकेर से मीरा आर्ची चौहान की रचना- महक

रचयिता- मीरा आर्ची चौहान
जिला-कांकेर,छग
शीर्षक- महक
विधा -कविता

महक सरई के फूलों की
 बस्तर के चप्पे-चप्पे को।
सराबोर कर देती है ,
मदमाती  भीनी महक से।

पहली बारिश की फूंहार
महका देती है मिट्टी को ।
ये महक कस्तुरी -सी,
अद्भुत है सोंधी- सोंधी।

ऐसी ही महक हमारे
कर्म में रहे दूर तक,
फैले कर्म की खुशबू,
रजनीगंधा की तरह ।

मीरा आर्ची चौहान
कांकेर,छग

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