जिला - बलौदाबाजार (छ. ग.)
विधा - मुक्त कविता
विषय - राजकीय पक्षी
शीर्षक - " पहाड़ी मैना "
--------------------------------
पहाड़ी मैना की कहानी।
हो जायेगी अब पुरानी।
बचा लो इनकी जिंदगानी।
न खत्म हो जाये इनकी निशानी।।
काला चमकीला शरीर सारा,
बैंगनी, हरी झलक रहती है।
सफेद चित्ता डैने पर इसकी,
आँखों पीछे पीली खाल बढ़ती है।।
फल-फूल, कीड़े-मकोड़े भोजन इसका,
फूलों का रस भी खूब पीती है।
मादा मैना फरवरी-मई में,
नीले-हरे अंडे भी देती है।।
कहानी किस्सों में न सिमट जाये,
बस्तर की शान न मिट जाये।
नक्सलवाद और सुरक्षाबलों के युध्द में,
इलाका अशांत न हो जाये।।
प्रशिक्षण पाकर थोड़ा-सा ही,
मनुष्य का हु-ब-हू नकल कर लेती है।
पायल, नंदी नामकरण इनका,
साहब नमस्ते भी बोल लेती है।।
सीता-राम, सीता-राम नाम जपकर,
खाना खाए, दोस्त-सा ये पूछती है।
बहुत शर्मीली चिड़िया बस्तर की,
ऊँचे पेड़ों पर रहना पसंद करती है।।
बहुत वफादार ये चिड़िया,
एक ही साथी साथ प्रजनन करती है।
घटती प्रजाति सुन्दर चिड़िया की,
अधिक शोर पसंद नहीं करती है।।
राजकीय पक्षी छत्तीसगढ़ की हमारी,
संरक्षण की योजना बनानी होगी।
छत्तीसगढ़ महतारी की पहचान को,
हर सूरत में बचानी होगी।।
--------------****--------------
मौलिक रचना (स्वरचित)
संतराम कुम्हार
बलौदाबाजार (छ.ग.)
बहुत बढ़िया भईया जी
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteBahut hi sundar rachana hai Bhai
ReplyDeletevery nice ekdam sahi hai....
ReplyDeleteBhut khub dost👌👌.
ReplyDelete