Thursday, January 23, 2025

आगरा से विनीता सिंह की रचना- सत्ता का लालच

कवित्री++विनीता सिंह 
जिला++आगरा
राज्य++उत्तर प्रदेश 
विषय++ 
शीर्षक+++सत्ता का लालच 
विद्या+++ लेख 
संपर्क+++ 7906424307

लेख

सत्ता का लालच 

बचपन से हम सुनते आये लालच बहुत बुरी बला है जो कोई इसके जाल फंस गया वह फंसता ही जाता है अगर लालच सत्ता का हो तो सोने पर सुहागा हो जाता है सत्ता के लालच में मनुष्य ऐसे फंसता है जैसे कि मकड़ी अपने ही बुने जाल में पूरे जीवन फंसी रहती है वो कभी निकालने की कोशिश नही करती और वह निकलना भी नहीं चाहतीं हैं ऐसे ही जिसे एक बार कोई पद मिल गया तो वह शाम-धाम ,दंड ,भेद ,कैसे भी मिले पर सत्ता चाहिए गांव के एक प्रमुख प्रधान के पद से लेकर प्रधानमंत्री तक के पद तक हर किसी को सत्ता का ही लालच होता हो जाता है 
कभी जाति कभी धर्म कभी क्षेत्र के नाम पर आपको उल्लू बना कर अपना मतलब सीधा करते हैं कहीं कहीं गांव में विकास केवल कागजों पर होता है अगर आप धरातल पर जाकर देखो तो वह कुछ नहीं होता वैसे तो हमारे यहां लोकतंत्र है लेकिन फिर भी जब चुनाव आते तो सब अपने अपने तरीके से लोगों को लुभाने की कोशिश करते हैं और कही कही तो डरा धरका कर वोट लिए जाते हैं सत्ता की लालच में फंसकर आदमी अपनी ईमानदारी भी खो देता है सत्ता पाने के लिए उसे कुछ भी करना पड़े हर हाल में वह अपने पद पर बना रहता है गांव के प्रधान ,सरपंच पद पर तो एक ही परिवार की कई पीढ़ियों के लोग प्रधानी अपने घर में रखना चाहते हैं चाहे उन्हें उसके लिए कोई भी तरीका अपनाया पड़े 
नेता तो केवल चुनाव में दिखाई देते हैं उसके बाद तो आपको देखते भी नहीं है पांच साल में केवल चुनाव के समय आपके पास आयेगे और ऐसे बात करेंगे जैसे की वह आपके अपनों से भी ज्यादा आपका ध्यान रखेंगे लेकिन चुनाव निकलने के बाद तू कौन मैं तुझे जानता नहीं हूं कभी परिवारवाद कभी क्षेत्रवाद हमारी जनता को इसी मे फंसा रखते हैं लेकिन आज कल पढ़ें लिखे लोग भी इनके जाल में फंस जाते हैं गरीब को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होता लेकिन इनके ठाट बाट में कोई कमी नहीं होती यहां कुछ अच्छे लोगों को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल कर अपने पद को प्राप्त कर लेते हैं उसका ग़लत फायदा उठाते है आप कभी संसद की कार्यवाही देखिए उन्हें देख कर कभी नहीं लगता की यह वही लोग हैं जिन्हें हमने चुन कर भेजा था 
कभी हमारे देश में लाल बहादुर शास्त्री जैसे प्रधानमंत्री जी थे जब हमारे देश में अनाज कि कमी हो गयी तो उन्होंने देश वासियों से कहा हम किसी के आगमन हाथ नहीं फैलायेंगे मेरा सभी से अनुरोध है की सब लोग सप्ताह में एक दिन सोमवार का व्रत रहे जिससे कोई भी देशवासी भूखा ना सो और खुद उनके पास तीन जोडी कपड़े थे। ऐसे नेता होने चाहिए जिन्हें अपने देश की चिंता सत्ता का लालच नहीं 

हमारे पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम साहब एक सूटकेस लेकर राष्ट्रपति भवन आए थे और जब वह 5 साल बाद राष्ट्रपति भवन से गए तब भी उनके पास केवल एक सूटकेस था ऐसे से महान नेता हमारे देश में हुए हैं हमें उनसे प्रेरणा नहीं चाहिए और हमें सत्ता के ललाट को छोड़कर अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए यह न सोचें कि हमारे अधिकार क्या है यह सोचे कि हमारा हमारे देश की प्रति कर्तव्य क्या है और सत्ता के लालचियों को सत्ता से उखाड़ कर फेंक देना चाहिए।

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