Thursday, March 6, 2025

दुर्ग से प्रिया गुप्ता की रचना- चाहत

कवि-प्रिया गुप्ता
जिला- दुर्ग
राज्य-छत्तीसगढ़
शीर्षक-चाहत
विधा-काव्य
संपर्क-7974631528

 दीवानगी दीवानों की वफ़ा है दोस्तो
  कातिल निगाहों पर जो फिदा है दोस्तो 
  किसी को इतना मत चाहो दोस्तो
 कि तुम्हारी चाहत की नुमाईश हो दोस्तो l

बेपनाह मुहब्बत किया जो तुमसे
उनकी चाहत को नज़र अंदाज़ मत करना l
इक दिन उनकी मजार पर आकर
  उनकी कब्र का दीदार तो करना l

प्रिया गुप्ता
जामुल
 भिलाई

Tuesday, January 28, 2025

आगरा से विनीता सिंह की रचना- नये बदलाव

कवित्री-विनीता सिंह 
जिला-आगरा 
राज्य-उत्तर प्रदेश 
विषय-बदलाव 
शीर्षक-नये बदलाव 
संपर्क 7906424307

बदलाव

बदलाव प्रकृति का नियम है जैसे सुबह के बाद शाम होती है शाम के बाद रात होती है रात के बाद फिर अगली सुबह होती है। 
ऐसे ही समय एक जगह स्थिर नहीं रहता हमेशा ही बदल परिवर्तन होता है।

 कभी गर्मी कभी वर्षा कभी सर्दी ऋतु में भी बदलती रहती है ।।

बदलाव होना अति आवश्यक है उससे हमें सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जैसे एक ऋतु के बाद दूसरी ऋतु आती है कभी बसंत कभी ग्रीष्म कई शिष्रर और हर ऋतु का अपना महत्व होता है उसी प्रकार हमारे जीवन चक्र में अनेकों प्रकार के बदलाव आते हैं कभी सुख कभी दुख कभी सफलता कभी असफलता असफलता ही से ही में सफलता का मार्ग मिलता है 

समय के साथ हमारी खेती व्यवस्था में बहुत बदलाव हुए पहले हमारी खेती-बाड़ी पूरी तरह से हमारी पशुओं पर निर्भर थी जैसे  बैलों से खेत की जुताई होती और घोड़े जिन्हें कि हम सवारी द्वारा इक्का तांगा एक स्थान से दूसरे स्थान जाते लेकिन अब जब नई तकनीकी की यंत्र आ गए उसके बाद हमारे इन जानवरों की स्थिति में पहले की अपेक्षा अधिक खराब होती जा रही है पहले हर घर में दो बैल और एक गाय अवश्य होती थी लेकिन जब से गांव में भी नई तकनीकी के ट्रैक्टर ट्राली इंजन जैसे कृषि यंत्र आ गए हैं तो अब बैल नहीं मिलते हैं जिससे ही प्यारे गौ वंश के प्राणी बहुत ही दुखी अवस्था में रहते हैं। 

हमारी शिक्षा पद्धति में भी बहुत ज्यादा परिवर्तन और बदलाव आए हुए हैं हमारे रहन-सहन खान हमारे परिवार रीति रिवाज जहां तक की परंपरा शादी विवाह हर जगह बदल दिखाई देता है इस बदलाव के कारण हमारे समाज में से संयुक्त परिवार पूरी तरह समाप्त होते जा रहे हैं अब एकांकी परिवार का महत्व क्योंकि कुछ स्थिति में सही भी है कुछ स्थिति में सही नहीं है सही यह है कि सब अपने हिसाब से अपना जीवन जी सकते हैं लेकिन परेशानी है कि जब बच्चे छोटे होते तो संयुक्त परिवार में उनका लालन पालन और दादा दादा दादी की कहानी दोनों उन्हें अच्छे संस्कार मिल जाते थे लेकिन अब हमारे बच्चों में संस्कारों की कमी होती जा रही है लेकिन एकाकी परिवार में अपने बच्चों नौकरों के सहारे पालने पड़ते हैं और हमारे लेकिन हमारी जो पुरानी आयुर्वेदिक व्यवस्था है हम लोग हमारे वैज्ञानिक शिक्षा इतनी बढ़िया है कि हम लोग चंद्रयान भेज रहे मंगल ग्रह पर घूम कर आ गए हमें इस बात पर गर्व है और हम अपने परिवर्तन से खुश हैं लेकिन हैं योग है हम लोग वापस फिर उसी और वापस आ रहे हैं हमारे देश की योग विदेश में अपना रहे हैं और फिर हम वापस हम भी इस ओर जाने की कोशिश की जिससे हम स्वस्थ रहें हम अपनी शिक्षा पद्धति को पूरी तरह भूल चुके लेकिन विदेशी लोग हमारी  सांस्कृतिक और कल्चर को अपना रह लगाते हुए उनकी उनकी उनके संस्कृत को अपनाने की कोशिश करते हैं जो कि गलत है आप कभी वृंदावन में लिए इस्कॉन टेंपल में देखिए  हजारों अंग्रेज महिलाएं साड़ी पहनकर हरे रामा हरे कृष्णा दिन भर गाती है और हम लोग के बच्चे अपने देश के संस्कार को भूल कर  जस्टिस लीवर के गाना सुनना पसन्द करने लगी है  अपनी संस्कृति सभ्यता अपने कल्चर को नहीं भूलना चाहिए अपने भगवान अपनी देवी देवता अपनी राष्ट्रीय एकता धर्मनिरपेक्ष राज्य हमारा देश जहां अनेक प्रकार के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं हमें उसे संस्कृति को आगे बढ़ना चाहिए ना की छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करना सब धर्म समानता का पालन करना चाहिए जैसा कि विवेकानंद जी ने विदेश भाषण में कहा था की सारी दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहां सभी लोग धर्म के लोग सभी जाति के लोग एक साथ रहते हैं बड़े प्रेम से रहते हैं।
हमे बडा गर्व की हमने भारत में जन्म लिया हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हम हर जन्म में हमें भारत में ही जन्म मिले

Friday, January 24, 2025

सरगुजा से पम्मी पैकरा " प्रकृति" की रचना-- मेरी बेटियाँ

*कवि* - पम्मी पैकरा " प्रकृति"
*जिला* - सरगुजा
*राज्य* - छत्तीसगढ़ 
*विषय* - बेटी
*शीर्षक* - मेरी बेटियां 
*विधा* - कविता
*संपर्क* - 9926513139

*मेरी बेटियां*
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मेरी बेटियां -2
मेरे आंगन के किलकारी,
मेरे बगिया के फुलवारी,
पापा की पारी,
नाना नानी, दादा दादी 
की दुलारी 
मेरी बेटियां .......।।

शरद की शबनम,
बसंत की गुलशन,
ग्रीष्म की पतझड़ में,
सदाबहार उपवन ,
मेरी बेटियां..... ।।

मां की जान,
पिता की अभिमान,
अनकही खुशियों की जुबान,
देश की शान,
मेरी बेटियां...... ।।

नभ सी निर्मल,
जल सी शीतल,
हवाओं सा स्पर्स कर,
घर में भर देती हैं खुशियां,
मेरी बेटियां..... ।।

आज की किलकारी,
कल की नारी,
प्यार से सींचो तो,
महका दे फुलवारी,
छेड़ो तो बन जाए चिंगारी ।
मेरी बेटियां....।।

आगरा से विनीता सिंह की रचना- बेटी

कवित्री++विनीता सिंह 
जिला++आगरा 
राज्य++उत्तर प्रदेश बेटी 
विषय++बेटी 
शीर्षक++बेटी  

बेटी 

आज मेरी दीदी का आंचल महका है उनके।
आंचल मैं आज एक बेटी आई है 

फूलों सी कोमल कलियां सी मुस्कान है उसकी देख 
मेरा मन खुश हो गया।


 दीदी के आंगन को महकाने एक एक इत्र की खूशबू आई है दीदी के आंचल में एक बेटी आई है 

पापा का सीना चौड़ा हो जाता है उस दिन जिस दिन एक बेटी जो परिवार को एक सूत्र में बांधने देवी आई है। हम

 बेटे भाग्य से होते हुए लेकिन बेटियां सौभाग्य से अपने पिता और परिवार का मान बढ़ाने एवं परी आई है

बोकारो से प्रतिमा ठाकुर की रचना- सफलता

लेखिका- प्रतिमा ठाकुर 
जिला- बोकारो 
राज्य- झारखंड 
विषय -सफलता 
शीर्षक -सफलता
विद्या- निबंध

सफलता
 *प्रस्तावना* 
सफलता एक ऐसी अवस्था है जिसमें हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होते हैं। यह एक ऐसी भावना है जो हमें आत्म-संतुष्टि और गर्व की अनुभूति कराती है।
 *भूमिका* 
सफलता की परिभाषा व्यक्ति के अनुसार भिन्न हो सकती है। कुछ लोगों के लिए सफलता धन और प्रसिद्धि हो सकती है, जबकि अन्य लोगों के लिए यह आत्म-संतुष्टि और खुशी हो सकती है।

सफलता प्राप्त करने के लिए हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हमें अपने लक्ष्यों को निर्धारित करना होता है, और फिर उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। हमें अपने डर और असफलता का सामना करना होता है, और फिर भी हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ना होता है।

सफलता के कई फायदे हैं। यह हमें आत्म-संतुष्टि और गर्व की अनुभूति कराती है, और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। सफलता हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है, और हमें अपने सपनों को पूरा करने में मदद करती है।

हालांकि, सफलता के कुछ नुकसान भी हैं। यह हमें अत्यधिक आत्मविश्वासी और अहंकारी बना सकती है, और हमें अपने आसपास के लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज करने के लिए प्रेरित कर सकती है। सफलता हमें अपने जीवन में असंतुलन लाने में मदद कर सकती है, और हमें अपने स्वास्थ्य और संबंधों को नजरअंदाज करने के लिए प्रेरित कर सकती है।

 *निष्कर्ष* :
 रूप में, सफलता एक ऐसी अवस्था है जो हमें आत्म-संतुष्टि और गर्व की अनुभूति कराती है। यह हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है, और हमें अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करती है। हालांकि, सफलता के कुछ नुकसान भी हैं, और हमें इसके साथ सावधानी से काम लेना चाहिए।

आगरा से विनीता सिंह की रचना- सफलता

कवित्री -विनीता सिंह 
जिला -आगरा
राज्य -उत्तर प्रदेश 
विषय -सफलता 
शीर्षक -सफलता 
विधा - निबंध 


सफलता 

प्रस्तावना+++ 
जो कांटों पर चलते है
उन्हें ही फूलों के हार मिलते हैं जो प्रयास करते 
उन्हें सफलता उनके कदम चूमेगी है 

सफलता+++ रातो को जगकर पढ़ते हैं वही एक दिन सफलता के शिखर पर चढ़ते हैं जब तक आप असफल नहीं होंगे तब तक आपको सफलता का महत्व नहीं पता चलता है जैसे एक छोटी चींटी कही चढ़ती है और गिरती है लेकिन वह हार नहीं मानती और जब तक अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेती तब तक प्रयास करती रहती है।
और एक दिन अपनी मंजिल पर पहुंच जाती है ऐसे ही हम मनुष्य को अपना एक लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए और जब तक उस लक्ष्य को प्राप्त ना करके तब तक हमें थक हार कर बैठना नहीं चाहिए

करत करत अभ्यास निरंजन होत सुजान रस्सी आवत जावत पत्थर पर बनात निशान 

आप निरन्तर प्रयास करते हैं उन्हें सफलता मिलती है हमारे गांव के छात्र कड़ी मेहनत और बहुत ज्यादा परेशान झेल कर छोटी मोटी नौकरी करके और दिन रात अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते हैं उनके रास्ते में हजारों समस्या आती है लेकिन वह अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ते और एक दिन वह सफलता का परचम लहराते हैं चाहे हमारे क्रिकेट खिलाड़ी रिंकू सिंह है जो मध्यवर्गीय परिवार से हैं उन्हें बड़ी मुश्किल से अपने खेल का अभ्यास कर पाते थे उनके पास पैसे भी नहीं थे आज उन्होंने उनकी अलग मेहनत से आज वह हमारी क्रिकेट टीम के प्रमुख के खिलाड़ी हैं और बहुत अच्छा खेल रहे अपने देश का नाम विशाखापट्ट ऐसे ही जायसवाल हैं मैं भी बहुत अच्छा मैच खेलते है
जैसे कोयल को अग्नि में तपकर सोना बन जाता है इस प्रकार कठिन मेहनत करने से हमें सफलता कठिन मेहनत करने पर हमें सफलता अवश्य ही मिलती है प्रयासों की सफल पूंजी है सफलता
उत्तर प्रदेश में एक जिला है जौनपुर वहां पर एक गांव है माधव पट्टी माधव पट्टी गांव एक ऐसा गांव है जहां पर 45 आईएएस अधिकारी हैं इसलिए नहीं कि उसे गांव में सब लोग पढ़े लिखे हैं इसलिए कि उसे गांव में लोगों की संगति अच्छी है क्योंकि सब हर कोई चाहता है कि हमारे गांव का नाम हो लेकिन इन सब लोगों ने मिलकर अपने गांव का नाम ऊंचा कर दिया है इतने सारे आईएएस आईपीएस उसे गांव से निकले हैं बात नहीं सकते इस प्रकार उत्तर प्रदेश में एक जिला है फर्रुखाबाद वहां पर एक सिपाही से भर्ती हुए भरत सिंह यादव जो जब सेवा निवृत्त हुए तो वह पुलिस की सबसे बड़े पद पर थे यह उनकी कठिन मेहनत और सफलता का फल था 

एक बार कोशिश तो करो अपना लक्ष्य निर्धारित कर लो सफलता तुम्हें क़दम चूमेगी 
लेकिन तुम सफल होने के बाद अपने बीते हुए दिन और उस में साथ देने वाले लोग को कभी मत भूलना 
तुम्हारी सफलता मैं आपकी मां पिता का भी संघर्ष है तब आप जाकर अपनी मंजिल पर पहुंच पाते हैं आप कितने सफल हो जाओ लेकिन अपने पैर जमीन पर ही रखना सजल रहना 
सफलता की सबसे बड़ी पूंजी असफलता हैं

Thursday, January 23, 2025

आगरा से विनीता सिंह की रचना- सत्ता का लालच

कवित्री++विनीता सिंह 
जिला++आगरा
राज्य++उत्तर प्रदेश 
विषय++ 
शीर्षक+++सत्ता का लालच 
विद्या+++ लेख 
संपर्क+++ 7906424307

लेख

सत्ता का लालच 

बचपन से हम सुनते आये लालच बहुत बुरी बला है जो कोई इसके जाल फंस गया वह फंसता ही जाता है अगर लालच सत्ता का हो तो सोने पर सुहागा हो जाता है सत्ता के लालच में मनुष्य ऐसे फंसता है जैसे कि मकड़ी अपने ही बुने जाल में पूरे जीवन फंसी रहती है वो कभी निकालने की कोशिश नही करती और वह निकलना भी नहीं चाहतीं हैं ऐसे ही जिसे एक बार कोई पद मिल गया तो वह शाम-धाम ,दंड ,भेद ,कैसे भी मिले पर सत्ता चाहिए गांव के एक प्रमुख प्रधान के पद से लेकर प्रधानमंत्री तक के पद तक हर किसी को सत्ता का ही लालच होता हो जाता है 
कभी जाति कभी धर्म कभी क्षेत्र के नाम पर आपको उल्लू बना कर अपना मतलब सीधा करते हैं कहीं कहीं गांव में विकास केवल कागजों पर होता है अगर आप धरातल पर जाकर देखो तो वह कुछ नहीं होता वैसे तो हमारे यहां लोकतंत्र है लेकिन फिर भी जब चुनाव आते तो सब अपने अपने तरीके से लोगों को लुभाने की कोशिश करते हैं और कही कही तो डरा धरका कर वोट लिए जाते हैं सत्ता की लालच में फंसकर आदमी अपनी ईमानदारी भी खो देता है सत्ता पाने के लिए उसे कुछ भी करना पड़े हर हाल में वह अपने पद पर बना रहता है गांव के प्रधान ,सरपंच पद पर तो एक ही परिवार की कई पीढ़ियों के लोग प्रधानी अपने घर में रखना चाहते हैं चाहे उन्हें उसके लिए कोई भी तरीका अपनाया पड़े 
नेता तो केवल चुनाव में दिखाई देते हैं उसके बाद तो आपको देखते भी नहीं है पांच साल में केवल चुनाव के समय आपके पास आयेगे और ऐसे बात करेंगे जैसे की वह आपके अपनों से भी ज्यादा आपका ध्यान रखेंगे लेकिन चुनाव निकलने के बाद तू कौन मैं तुझे जानता नहीं हूं कभी परिवारवाद कभी क्षेत्रवाद हमारी जनता को इसी मे फंसा रखते हैं लेकिन आज कल पढ़ें लिखे लोग भी इनके जाल में फंस जाते हैं गरीब को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होता लेकिन इनके ठाट बाट में कोई कमी नहीं होती यहां कुछ अच्छे लोगों को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल कर अपने पद को प्राप्त कर लेते हैं उसका ग़लत फायदा उठाते है आप कभी संसद की कार्यवाही देखिए उन्हें देख कर कभी नहीं लगता की यह वही लोग हैं जिन्हें हमने चुन कर भेजा था 
कभी हमारे देश में लाल बहादुर शास्त्री जैसे प्रधानमंत्री जी थे जब हमारे देश में अनाज कि कमी हो गयी तो उन्होंने देश वासियों से कहा हम किसी के आगमन हाथ नहीं फैलायेंगे मेरा सभी से अनुरोध है की सब लोग सप्ताह में एक दिन सोमवार का व्रत रहे जिससे कोई भी देशवासी भूखा ना सो और खुद उनके पास तीन जोडी कपड़े थे। ऐसे नेता होने चाहिए जिन्हें अपने देश की चिंता सत्ता का लालच नहीं 

हमारे पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम साहब एक सूटकेस लेकर राष्ट्रपति भवन आए थे और जब वह 5 साल बाद राष्ट्रपति भवन से गए तब भी उनके पास केवल एक सूटकेस था ऐसे से महान नेता हमारे देश में हुए हैं हमें उनसे प्रेरणा नहीं चाहिए और हमें सत्ता के ललाट को छोड़कर अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए यह न सोचें कि हमारे अधिकार क्या है यह सोचे कि हमारा हमारे देश की प्रति कर्तव्य क्या है और सत्ता के लालचियों को सत्ता से उखाड़ कर फेंक देना चाहिए।

दुर्ग से प्रिया गुप्ता की रचना- चाहत

कवि-प्रिया गुप्ता जिला- दुर्ग राज्य-छत्तीसगढ़ शीर्षक-चाहत विधा-काव्य संपर्क-7974631528  दीवानगी दीवानों की वफ़ा है दोस्तो   काति...